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*[[शाम का वक्त है शाखों को हिलाता क्यों है/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
*[[ / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]]
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