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Kavita Kosh से
वो चेहरे से ही मेरे दिल की हालत भाँप लेता है
ज़रूरत ही नहीं पड़्ती पड़ती कभी शिकवा-शिकायत की
डरी सहमी हुई सच्चाइयों के ज़र्द चेहरों पर