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07:05, 1 अगस्त 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= श्रद्धा जैन
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प्यार में बिक जाये बेमोल
वर्ना गुड़िया है अनमोल
जीवन नैया डांवांडोल
बाबा अब तो आँखें खोल
खुल जायेगी तेरी पोल
खुद को इतना भी न टटोल
कौन यहाँ किसको क्या दे
सबके हाथों में कशकोल
आज हादसा नहीं हुआ
जश्न मनाओ, पीटो ढोल
जो बिछुड़ा वो फिर न मिला
हम समझे थे दुनिया गोल
क्यों मुश्किल में पड़ता है
सबकी बातों पर हाँ बोल
सोने पर लोहा भारी
वक़्त आ गया लोहा तोल
</poem>
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