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{{KKRachna
|रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य
|संग्रह=केवल एक पत्ती ने / नंदकिशोर आचार्य}}<poem>झूठा है वह सच
सपना नहीं जो होता—
सपने में ही जीना
जिऊँ चाहे सपने-सा
तुम्हें
सच तुम ही हो मेरा.।—30 मई, 2009</poem>