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|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
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<Poem>
मेरी जड़-अनगढ़ वीणा को
हे स्वरदेवी, अपना स्वर दो!
'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' मानें
जागृत हो मम प्रज्ञा पावन
हंसवाहिनी , ऐसा वर दो!</poem>