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सही है, ठीक है, हमने ये ग़म सहे ही नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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20:49, 11 अगस्त 2011
गये तो ऐसे कि जैसे कभी रहे ही नहीं
हज़ार दर्द हों दिल में
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सुनेगा कौन! गुलाब!
तुम्हारी आँख से आँसू अगर बहे ही नहीं
<poem>
Vibhajhalani
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