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Kavita Kosh से
तुम चलो, ज़माना अपने साथ चलाओ,
जो पिछड़ गए हैं आगे उन्हें बढ़ाओ
तुमको प्रतीक बनना है विश्वप्रगति विश्व-प्रगति का
तुमको जन हित के साँचे में ढलना है
मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।