Changes

एक भी ध्वनि
 
कहीं नहीं होती
 
सिर्फ़ एक गहरी ख़ामोशी है
 
बाहर और भीतर
 
कौन है वह ?--
 
कोई भीतर से चीख कर पूछता है
 
पर होंठ
 
सिर्फ़ हिल कर रह जाते हैं
 
और ऎसे में
 
बुझ जाती है मोमबत्ती
 
लुप्त हो जाता है
 
जीर्ण पीला प्रकाश
 
 
उठता हूँ और
 
बाहर की ओर चलता हूँ
 
एक धुँधली वीरानगी से
 
लिपटे खड़े हैं पेड़
 
रास्ते जाने-पहचाने हैं
 
फिर भी अजनबी!
 
किसके घर जाऊँ?
 
किसे जगाऊँ?
 
इस मध्य रात्रि में
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,431
edits