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Kavita Kosh से
लेकर उमंग संग चले थे हँसी—खुशी
पहुँचे नदी के घट घाट तो मेला उजड़ गया
जिन आँसुओं का सीधा तआल्लुक़ तअल्लुक़ था पेट से
उन आँसुओं के साथ तेरा नाम जुड़ गया.
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