Changes

जैसे हम कर चुके हों जीते जी
अपना क्रिया-कर्म
और अब म्रत्युन्जय मृत्युंजय नागरिक हैं जैसे हम आये आए हों कुछ दिनों के लिए
अपने ही देश में सैलानियाँ कि तरह
और हमें किसी से क्या लेना देना
जैसे हमने युद्ध में दाल डाल दिए हों
हथियार
और अब हो जो हो निर्विरोध
इस देश के बारे में
अपने वतन से भागते हुए
हथेलियों में जान लिए </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,405
edits