भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँ / रमेश तैलंग

No change in size, 08:30, 5 सितम्बर 2011
माँ कितनी तकलीफ़ें झेल,
बांटे बाँटे सुख, सबके दुख ले ले।
दया-धर्म सब रूप हैं माँ के,
और हर रूप निराला है।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits