भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स' }} <poem> दर्द में गर मज़ा नहीं …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
}}

<poem>
दर्द में गर मज़ा नहीं होता ,
प्यार दिल में जगा नहीं होता .
उससे मिलने की जुस्तजू क्यों है ,
वो जो मुझसे जुदा नहीं होता .
जाने क्या हो गयी ख़ता मुझसे ,
आजकल वो ख़फा नहीं होता .
जिसने दुनिया के ग़म चुराये हैं ,
उसका कुछ भी बुरा नहीं होता .
उसके चेहरे पे जो लिखा है पढ़ो ,
प्यार का तर्ज़ुमा नहीं होता .
हौसले रास्ता दिखाते हैं ,
जब कहीं रास्ता नहीं होता .
</poem>