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गुजरिया / भारतेन्दु मिश्र

3 bytes added, 11:53, 20 सितम्बर 2011
हँसते हो-गाते हो
सपनों मे में आते हो
धान जब लगाते हो
तुम बहुत सुहाते हो
आँखों मे चाहत का रंग भर दिया।
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