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गुजरिया / भारतेन्दु मिश्र
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11:53, 20 सितम्बर 2011
हँसते हो-गाते हो
सपनों
मे
में
आते हो
धान जब लगाते हो
तुम बहुत सुहाते हो
आँखों मे चाहत का रंग भर दिया।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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