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रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या / 'अना' क़ासमी
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रोज़ चिकचिक में सर खपायें क्या
फैसला ठीक है निभायें क्या
झूठ पर झूठ कब तलक वाइज़
झूठ बातों पे सर हिलायें क्या
<poem>
वीरेन्द्र खरे अकेला
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