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23:45, 14 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>जठै स्सौ कीं थांरो ई काळी रात रै खिलाफ
एक दीवो म्हारो ई काळी रात रै खिलाफ
गोड़ै घड़ राई रो पहाड़ बणावै जमानो
एक दीवो म्हारो ई काळी बात रै खिलाफ
घर चिणावतां ई बुलडोजर दडूकै गळी में
एक दीवो म्हारो ई काळी लात रै खिलाफ
मुळकै, मिलै गळै अर होळै-सी-क बाढ नांखै
एक दीवो म्हारो ई काळी बाथ रै खिलाफ
भींतां सूं भचीड़ खा-खा अचेत होगी सांसां
एक दीवो म्हारो ई काळी छात रै खिलाफ
</poem>