भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखना भी चाहूँ / वेणु गोपाल

63 bytes removed, 18:40, 17 सितम्बर 2007
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजा खुगशालवेणु गोपाल|संग्रह=संवाद के सिलसिले में
}}
न हो तो न सही
कोई तो 'पन' हो
जो भी जो है
वही ÷ 'वह' नहीं है
बस , देखने को यही है
और कुछ नहीं है
हां, यह सही है
वहीं से
देख पाऊंगा
दुख को दुखी
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits