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खेल / नंदकिशोर आचार्य
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06:06, 29 नवम्बर 2011
<poem>
खेल खेलता है मृत्यु के साथ
ईश्वर
खेल खेलती है
ईश्वर के साथ मृत्यु भी
सौंप कर मुझे मृत्यु को
बचाता है ख़ुद को
ईश्वर—
ईश्वर को मार देती है
मार कर मृत्यु मुझ को
कभी ईश्वर होता हूँ
मैं
मृत्यु कभी उस की—
अनिल जनविजय
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