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|संग्रह=प्रवासी के गीत / नरेन्द्र शर्मा
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तुम्हें याद है क्या उस दिन की
नए कोट के बटन होल मेँमें,
हँसकर प्रिये, लगा दी थी जब
वह गुलाब की लाल कली ?
कुसुम कली वह कब की सूखी,
फटा ट्वीड का नया कोट भी,
किन्तु बसी है सुरभि ह्रदय मेँमें,
जो उस कलिका से निकली !
'''(फरवरी १९३७)'''
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