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Kavita Kosh से
आँख से छलके न जो उस अश्क की कीमत होती है।
प्यार करता हूँ इसी से यह तड़पन है, ऐ दोस्त।
ज़िन्दगी बदनाम न हो जाय साँस के व्यापार में ‘जलज’