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{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
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सूरज निकला
अरे क्षितिज पर नहीं,
नगर के चौक:
धूप बरसी
पर अंतरिक्ष से नहीं,