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घनश्याम हमारी आँखों में / शिवदीन राम जोशी
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03:18, 21 दिसम्बर 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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घनश्याम हमारी आंखों में, हम आंखें में घनश्याम के हैं।
सरकार हमारे हो तुम तो, हम दास बने बिन दाम के हैं।।
Lalit Kumar
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