भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कड़की का गीत / रमेश रंजक

2 bytes added, 07:35, 26 दिसम्बर 2011
{{KKCatNavgeet‎}}
<poem>
’दिन तो बेचा’ इसके बेचा’—इसके बाद भी
जीना जब हो गया कठिन,
(रात रख दी गिरवी
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits