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बिंदु और चंद्रबिंदु के नियम कोई पेचीदा नहीं हैं, मैंने ललित जी को चिट्ठी में वर्तनी मानक वाले पन्ने के जिस पुराने संस्करण का ज़िक्र किया था, उसके सही/ग़लत वाल सैक्शन देखिए, और हेमेंद्र जी के पन्ने पर जाइए, उस पर अनिल जी का जवाब पढ़िए। --[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] १६:२८, १४ अप्रैल २००८ (UTC)
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मैंने जल्दबाज़ी में कोई कविता टाइप की, उसमें ग़लत शब्द टाँक दिए, उसके बाद उसे सही कर दिया, और ये सब थोड़ी सी कविताओं में ही। और इस ग़लती की वजह से मुझे कविताएँ जोड़ने के साथ-साथ प्रूफ़रीड का भी श्रेय दिया जा रहा तो ठीक है, मुझे कोई उज्र नहीं।
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