भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक तिवारी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> '''स्...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक तिवारी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
'''स्टेज के ऊपर दिखने वाली लड़की'''
स्टेज के ऊपर
दिखने वाली लड़की की
आखों की नमी
बॅंट नहीं जाती क्या
हज़ारों की संख्या में बैठे
दर्शकों की आँखों में?
उस लड़की की ऊर्जा का प्रवाह
फैलता नहीं चला जाता क्या
कण-कण में
विकिरण की तरह पूरे वातावरण में?
उसका आर्तनाद और चीत्कार
फैल नहीं जाता क्या
चारों ओर की हवा में
और हवा की नमी के साथ घुल नहीं जाता क्या
आपके अपने भीतर?
उसका स्पंदन, उसकी धड़कन
पैदा नहीं करती क्या
आपके दिलों में समान आवृत्ति
जिसकी प्रतिक्रिया में
भिंच जाते हैं आपके जैसे
हज़ारों होठ
फड़कने लगती हैं भुजाएं
तनने लगते हैं जबड़े
गर्म होने लगती हैं कनपटी की शिराएं
भिची हुई आपकी मुट्ठियों की ताक़त
स्टेज पर दिखने वाली लड़की
आपसे लेती है
और भर लेती हैं उसे अपने बदन में .........
स्टेज पर दिखने वाली लड़की
आपसे संवाद करती है.......
ऐसा संवाद.....
जिसमें कभी आप बोलते ही जाते हैं
और कभी सिर्फ़ सुनते हैं
और सुनते ही जाते हैं.......
और वो लड़की
जो स्टेज पर एक लड़की ही की तरह होती है
सिर्फ़ लड़की नहीं
आपके लिए ज़िंदगी की पर्तों की
दास्तानगोई करने वाली
एक ज़ुबान बन जाती है
जो बिखेर देती है ऊसर ज़मीन पर
हरियाली का सपना
सपना सिर्फ़ सपने के लिए नहीं
हक़ीकत में बदलने के लिए भी.....
15/01/2008
(पीना बाउश की प्रस्तुति को देखकर। बेहतरीन अदाकारा पीना बाउश की पिछले दिनों आकस्मिक मौत हो गई।)
15/01/2008
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक तिवारी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
'''स्टेज के ऊपर दिखने वाली लड़की'''
स्टेज के ऊपर
दिखने वाली लड़की की
आखों की नमी
बॅंट नहीं जाती क्या
हज़ारों की संख्या में बैठे
दर्शकों की आँखों में?
उस लड़की की ऊर्जा का प्रवाह
फैलता नहीं चला जाता क्या
कण-कण में
विकिरण की तरह पूरे वातावरण में?
उसका आर्तनाद और चीत्कार
फैल नहीं जाता क्या
चारों ओर की हवा में
और हवा की नमी के साथ घुल नहीं जाता क्या
आपके अपने भीतर?
उसका स्पंदन, उसकी धड़कन
पैदा नहीं करती क्या
आपके दिलों में समान आवृत्ति
जिसकी प्रतिक्रिया में
भिंच जाते हैं आपके जैसे
हज़ारों होठ
फड़कने लगती हैं भुजाएं
तनने लगते हैं जबड़े
गर्म होने लगती हैं कनपटी की शिराएं
भिची हुई आपकी मुट्ठियों की ताक़त
स्टेज पर दिखने वाली लड़की
आपसे लेती है
और भर लेती हैं उसे अपने बदन में .........
स्टेज पर दिखने वाली लड़की
आपसे संवाद करती है.......
ऐसा संवाद.....
जिसमें कभी आप बोलते ही जाते हैं
और कभी सिर्फ़ सुनते हैं
और सुनते ही जाते हैं.......
और वो लड़की
जो स्टेज पर एक लड़की ही की तरह होती है
सिर्फ़ लड़की नहीं
आपके लिए ज़िंदगी की पर्तों की
दास्तानगोई करने वाली
एक ज़ुबान बन जाती है
जो बिखेर देती है ऊसर ज़मीन पर
हरियाली का सपना
सपना सिर्फ़ सपने के लिए नहीं
हक़ीकत में बदलने के लिए भी.....
15/01/2008
(पीना बाउश की प्रस्तुति को देखकर। बेहतरीन अदाकारा पीना बाउश की पिछले दिनों आकस्मिक मौत हो गई।)
15/01/2008
</poem>