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बस तनिक सा और चलकर आदमी,बैठ कर बातें करेगा मातमी,
रह राह के मीठे कुंए चुक जाएँगे ,तुम बचा रखना कहीं अपनी नमी.
प्यास मरुथल की सताएगी हमें ,और थोड़ा जल हमारे साथ है.
खूब भर जाए दिशाओं में ज़हर,आँधियों का कोप हो आठों पहर,
जो घरोंदा हो किसी पीड़ा टेलतले, छू नहीं सकती उसे कोई लहर.
क्या उड़ाएगी हमें बहकी हवा,गीत विन्ध्याचल हमारे साथ है.