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धर्मवीर भारती / परिचय

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'''[[धर्मवीर भारती]]''' (२५ दिसंबर, १९२६- ४ सितंबर, १९९७) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक और सामाजिक विचारक थे।
==जीवन परिचय==
जन्म प्रयाग में हुआ और शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में; प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ [[धीरेन्द्र वर्मा ]] के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध प्रबंध लिखकर पी एच डी की डिग्री प्राप्त की। डा. भारती की शिक्षा-दीक्षा और काव्य-संस्कारों की प्रथम संरचना प्रयाग में हुई। उनके व्यक्तित्व और उनकी प्रारंभिक रचनाओं पर पंडित [[माखनलाल चतुर्वेदी ]] के उच्छल और मानसिक स्वच्छंद काव्य संस्कारों का काफ़ी प्रभाव है। भारती के कवि की बनावट का सबसे प्रमुख गुण उनकी वैष्णवता है। पावनता और हल्की रोमांटिकता का स्पर्श और उनकी भीनी झनकार भारती की कविताओं में सर्वत्र पाई जाती है।
इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'ठंड़ा लोहा' और प्रथम उपन्यास 'गुनाहों का देवता' अत्यंत लोकप्रिय हुए। इनके द्वारा लिखा हुआ प्रथम काव्य नाटक 'अंधा युग' संपूर्ण भारतीय साहित्य में अपने ढंग की अलग रचना है। इनकी कविताओं की अलग और महत्वपूर्ण पहचान के कारण ही [[अज्ञेय ]] ने उन्हें अपने द्वारा संपादित दूसरे सप्तक में संकलित किया।
'ठंड़ा लोहा' के अतिरिक्त उनका एक कविता-संग्रह 'सात गीत वर्ष' भी प्रकाशित हुआ। लंबी कविता के क्षेत्र में राधा के चरित्र को लेकर कनुप्रिया नामक उनकी कविता अत्यंत प्रसिध्द हुई। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रयोग के स्तर पर 'सूरज का सातवां घोड़ा' नामक एक सर्वथा नये ढंग का उपन्यास लिखा। 'चांद और टूटे लोग' तथा 'बंद गली का आखिरी मकान' उनके दो कथा-संग्रह हैं।
== काव्य नाटक-अंधा युग ==
धर्मवीर भारती का काव्य नाटक अंधा युग भारतीय रंगमंच का एक महत्वपूर्ण नाटक है। महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित यह् नाटक चार दशक से भारत की प्रत्येक भाषा मै मन्चित हो रहा है। इब्राहीम अलकाजी,रतन थियम,अरविन्द गौड़,राम गोपाल बजाज,मोहन महर्षि, एम के रैना और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशको ने इसका मन्चन किया है । इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महात्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है। यह काव्य रंगमंच को दृष्टि में रखकर लिखा गया है । नए संदर्भ और कुछ नवीन अर्थों के साथ अंधा युग को लिखा गया है और हिन्दी के सबसे महत्वपूर्ण नाटक में निर्देशको के लिए [[धर्मवीर भारती ]] जी ने ढेर सारी संभावनाएँ छोड़ी हैं,निर्देशक जिसमें व्याख्या ढूँढ़ लेता है। तभी इराक युद्ध के समय निर्देशक अरविन्द गौड़ ने आधुनिक अस्त्र-शस्त्र के साथ इसका मन्चन किया । काव्य नाटक अंधा युग में कृष्ण के चरित्र के नए आयाम और अश्वत्थामा का ताकतवर चरित्र है, जिसमें वर्तमान युवा की कुंठा और संघर्ष उभरकर सामने आता है।
==अलंकरण तथा पुरस्कार==
१९७२ में पद्मश्री से अलंकृत डा [[धर्मवीर भारती ]] को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिसमें से प्रमुख हैं. १९८४ [[हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार ]] महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन १९८८ सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी दिल्ली १९८९, [[भारत भारती पुरस्कार ]] उत्तर प्रदेश, हिन्दी संस्थान १९९०, [[महाराष्ट्र गौरवसम्मान]], महाराष्ट्र सरकार १९९४, [[व्यास सम्मान ]] के के बिड़ला फाउंडेशन
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