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Kavita Kosh से
कभी-कभी चाय की चुस्कियां लेता हुआ
उसकी मुस्कान बताती थी
कि उसकी दुकान पर
कुछ नई किताबें आई हैं
और अपना हाल-चाल बड़ी मुश्किल से बताता