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Kavita Kosh से
पुलिस की निगाह से छिपाकर बेची जा रही थी जो
बेचैन हुआ था तब बड़ा, यह जानने को अधीर मै
आई कहाँ से हसीना, कितनी दिलकश दिख रही थी है वो
कौन जानता है ओ सुन्दरी कैसा तुमने जीवन जिया