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रश्मिरथी / पंचम सर्ग / भाग 1

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|सारणी=रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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</Poem>
आ गया काल विकराल शान्ति के क्षय का,
निर्दिष्ट लग्न धरती पर खंड-प्रलय का.
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