भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
|संग्रह=आलाप में गिरह / गीत चतुर्वेदी
}}
{{KKCatKavita}}
कभी दौड़ पड़े तो थकान नहीं
और कभी बैठे-बैठे ही टप् से गिर पड़ेढह गएमुक़ाबले में इस तरह उतरे कि उसे अगले को दया आ गई
और उसने ख़ुद को ख़ारिज कर लिया
थोड़ी-सी हँसी चुराई
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits