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{{KKRachna
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
|संग्रह=आलाप में गिरह / गीत चतुर्वेदी
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'''[उन दो औरतों के लिए जिन्होंने कुछ दिनों तक शहर को डुबो दिया था]'''
दरवाज़ा खोलते ही झुलस जाएँ आप शर्म की गर्मास से