Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सीता-वनवा...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सीता-वनवास / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>

जहाँ जी चाहे सीता जाये'
बोले प्रभु लक्ष्मण से--'अब वह मुझको मुँह न दिखाये

'दुष्ट असुर से ठान लड़ाई
मैंने कुल की आन बचायी
पर जो पर घर में रह आयी
उसे कौन अपनाये!

'अवध उसे जो ले जाऊँगा
अपनी हँसी न करवाऊँगा!
क्या उत्तर मैं दे पाऊँगा
यदि जग दोष लगाये!

चर्चा क्या न रहेगी छायी--
''जाने कैसे अवधि बितायी!
जो कंचन-मृग पर ललचायी
लंका उसे न भाये!"

जहाँ जी चाहे सीता जाये'
बोले प्रभु लक्ष्मण से--'अब वह मुझको मुँह न दिखाये
<poem>
2,913
edits