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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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सतसंग बिना ना रंग चढ़े,
बिन रंग चढ़े ना भक्ति मिले रे |
भक्ति मिले बिन राम न रीझत,
राम बिना नहीं फूल खिले रे |
फूल खिले बिन धूल ही है,
मन भाग्य फटा वह कैसे सिले रे |
शिवदीन यकीन करो उर में,
शुभ संत कृपा गिरिराज हिले रे |
<poem>
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