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इस राज़ को क्या जानें साहिल के / मुज़फ़्फ़र 'रज़्मी'
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11:09, 24 मार्च 2013
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
क्या सानेहा<ref>
्घटना
घटना
</ref> याद आया ‘रज़्मी’ की तबाही का
क्यूँ आप की नाज़ुक सी आँखों में नमी आई
</poem>
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अनिल जनविजय
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