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उनये उनये भादरे / नामवर सिंह
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14:10, 30 मार्च 2013
चढ़ता रंग बतास में
हरी हो रही धूप
नशे
-
सी चढ़ती झुके अकास में
तिरती हैं परछाइयाँ सीने के भींगे चास में
:::::::घास में।
</poem>
अनिल जनविजय
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