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गीत-2 / नीरज दइया

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|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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{{KKCatKavita‎}}<poem>जो बात
आज तक कही नहीं
किसी संकोच के रहते
रहा होगा कहीं कोई डर,
बात वही
कह रही हो आज तुम
दोस्तों के बीच
गुनगुनाते हुए गीत।

बात यही
बहुत पहले
सुन चुका मैं।

अब भी डरता हूं मैं
मैंने कभी प्रेम-गीत गाया नहीं।</poem>
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