भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>प्रेम करने के लिए
लगाए सात चक्कर
अग्नि केवल
साक्ष्य रूप
सामने नहीं थी-
वह थी देह में भी।
जल कर
हम हुए- एक
होंगे जुदा
जल कर ही।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>प्रेम करने के लिए
लगाए सात चक्कर
अग्नि केवल
साक्ष्य रूप
सामने नहीं थी-
वह थी देह में भी।
जल कर
हम हुए- एक
होंगे जुदा
जल कर ही।</poem>