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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रमेश भोजक ‘समीर’|संग्रह=}}{{KKCatMoolRajasthani}}{{KKCatKavita}}<poem>कूड़ है, सरासर कूड़
थूं कूड़ो है
सदा करै कूड़ी बातां