{{KKRachna
|रचनाकार= जॉन एलिया
}}<poem>{{KKVID|v=a4Osribz5fMyjDKOpGqiFg}}[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
बेदिली! क्या यूँ ही दिन गुजर जायेंगे
सिर्फ़ ज़िन्दा रहे हम तो मर जायेंगे
कितने दिलकश हो तुम कितना दिलजूँ हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे
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