गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
किसान / द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र'
15 bytes added
,
06:42, 23 सितम्बर 2013
{{KKCatKavita}}
{{KKCatChhattisgarhiRachna}}
<poem>
धन धन रे मोर किसान, धन धन रे मोर किसान।
मैं तो तोला जांनेव तैं अस, भुंइया के भगवान।।
अपन उपज ला हंस देथस, सबो ला एके समान।
धन धन रे मोर किसान, धन धन रे मोर किसान।।
</poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,146
edits