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आ उठ चल, बाहर जीवन है / मानोशी
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<poem>जीवन विषाद नहीं है, सुख है,
है मन का यह भ्रम, जो दुख है,
मधुर स्मृति से आलिंगन-बद्ध
Sharda suman
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