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Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मानोशी|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>एक तरंग
समंदर से, आकाश से, धरती से
बहुत गहरी बहुत फैली, बहुत ऊँची