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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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आ भाईड़ा
बैठ ......
घड़ी दो घड़ी बैठ !
बैठ‘र कर
म्हारै साथै दो च्यार बातां
कै आपणा दिमाग
हेल्यां री
बसांवळी तो नीं रूखाळै !
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