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लोकगीत
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**[[यह गीत निमाड़ में शादी के समय मंडप में जब भाई मामेरा [निमाड़ी में इसे पेरावनी कहते है ]लेकर आता तब गाया जाता है इसका भावार्थ है ,बहनअपने भाई से कहती है ,मेरे भाई तुम जब भी पेरावनी [कपडे आदि ]लाओ तो मेरे पुरे परिवार के [साँस ससुर देवर जेठ आदि ]लिए लाना और नही तो अपने देश में ही रहना |भाई कहता है मेरे पास धन बहुत कम है विपति बहुत है परन्तु फ़िर भी मै जेसा तुम कहोगी वैसा ही मै लाऊंगा|
ब्य्नीका अंगना म पिपली रे वीरा चुन्ड लाव्जे |
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा
नही तो र्ह्य्जे आपणा देस माडी जाया चुन्ड लाव्ज*[[संपत थोडी वो ब्य्नी विपत घ्नेडी ,
कसी पत आउ थारा देस माडी जाई चुन्ड लाऊ
भाव्जियारो कंगन ग्य्नो मेल्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे |
लाव्जे तो सबई सारू लाव्जे रे वीरा चुन्ड लाव्जे
एतरो गरब क्यो बोलती वो ब्य्नी चुन्ड लांवा]][[*हमछे पांचाई भाई की जोत माडी जाई चुन्ड लावा]]
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