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दिवला अर बाट /अंकिता पुरोहित

29 bytes added, 12:56, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>छोरा
घर रा
दिवला होवै
बिना बाट
कदैई नीं देख्यो
दिवलै नंै नैं करता च्यानणो।
दिवलै अर बाट री
दिवलै रै साथै
बाट नैं भी
अरथावणो पड़सी।</poem>
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