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भावी री अंवेर / मोनिका गौड़

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<poem>सिराणै राख’र
अरजां रा तकिया
वा लोरी मांय
धीजो गावै

आंगळ्यां फेरती
बाळां मांय
जीवण रा रहस
सुळझावै

मूंडै माथै छिड़क’र
किरण्यां
जद दिनूगै उठावै
मां
म्हनैं सांपड़तै
भगवान निजर आवै!</poem>
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