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चलो हम आज / मानोशी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मानोशी|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatGeet}}<poem>चलो हम आज
सुनहरे सपनों के
रुपहले गाँव में
सुनहरे सपनों के
रुपहले गाँव में
घर बसायें ।बसायें।</poem>
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