भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>खंडहर में
खंडहर से डर नहीं लगता ।
डर लगता है
हवा से - धूप से
और पानी से,
हवा कभी भी आँधी में बदल सकती है
धूप आग में
और पानी मुसलाधार बारिश में
डर, एक नदी है
रगों में जो चुपचाप बहती है
काटते - छाटते हुए
भीतर ही भीतर
डर, एक आग है
गीली लकडी की
धीरे - धीरे जो
करती है राख
डर, एक आँधी है
झिंझोडती हुई
अस्तित्व
काँप उठता है जिससे
खंडहर में
खंडहर से पहले ढहता है बहुत कुछ
- 1998 ई0 </poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>खंडहर में
खंडहर से डर नहीं लगता ।
डर लगता है
हवा से - धूप से
और पानी से,
हवा कभी भी आँधी में बदल सकती है
धूप आग में
और पानी मुसलाधार बारिश में
डर, एक नदी है
रगों में जो चुपचाप बहती है
काटते - छाटते हुए
भीतर ही भीतर
डर, एक आग है
गीली लकडी की
धीरे - धीरे जो
करती है राख
डर, एक आँधी है
झिंझोडती हुई
अस्तित्व
काँप उठता है जिससे
खंडहर में
खंडहर से पहले ढहता है बहुत कुछ
- 1998 ई0 </poem>