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Kavita Kosh से
फूलो के रंग से, दिल की कलम से तुझको लिखी रोज पाती. .
कैसे बताऊँ किस-किस तरह से पल-पल मुझे तू सताती. .
तेरे ही सपने ले कर के सोया. . तेरी ही यादो मे जागा.
तेरे खयालो मे उलझा रहा यूं जैसे कि माला मे धागा. .
बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार. .
लेना होगा, जनम हमे कई-कई बार. .
इतना मदिर इतना मधुर तेरा-मेरा प्यार. .
लेना होगा जनम हमे कई-कई बार. .
साँसो की सरगम. . धड़कन की वीणा. . सपनों की गीतांजली तुम
मन की गली मे महके जो हरदम ऐसी जूही की कली तुम. .
छोटा सफर हो . . लम्बा सफर हो सूनी डगर हो या मेला. .
याद तू आये मन हो जाये भीड़ के बीच अकेला. .
बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार. .
पूरब हो. . पश्चिम उत्तर हो दक्खिन तू हर जगह मुस्कुराये. .
जितना ही जाऊँ मैं दूर तुझसे
आंधी ने रोका पानी ने टोका दुनिया ने हँसकर पुकारा
तस्वीर तेरी लेकिन लिये मैं कर आया सबसे किनारा. .
हाँ बादल बिजली चंदन पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमे कई-कई बार. .
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