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Kavita Kosh से
नहीं जानते कुछ भी अपनी, पोल न खोलो दादाजी।
नहीं थैंक यूं यू अब तक बोला, कितने काम किए मैंने,
दिन भर घर में घूमा करते, लुंगी एक फटी पहने।